गणेश चालीसा इन हिंदी | Ganesh Chalisa in Hindi PDF

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हिंदू भक्ति के केंद्र में, हिंदी में गणेश चालीसा ( Ganesh Chalisa in Hindi ) चमकती है। यह भगवान गणेश को एक काव्यात्मक श्रद्धांजलि है, और इसे पीढ़ियों से संजोकर रखा गया है। लेकिन इसे किसने लिखा, और हिंदी में गणेश चालीसा का जाप इतना खास क्यों है?

गणेश चालीसा, भगवान गणेश की 40 पंक्तियों वाली प्रार्थना, “संत तुलसीदास” द्वारा तैयार की गई थी। वह एक प्रसिद्ध कवि-संत थे जो 16वीं शताब्दी में रहते थे। आप उन्हें उनकी दूसरी कृति रामचरितमानस से जान सकते हैं।

Benefits of chanting Ganesh Chalisa in Hindi  

दैवीय आशीर्वाद और आध्यात्मिक ज्ञान चाहने वालों के लिए हिंदी में गणेश चालीसा के बोल का जाप ( Ganesh Chalisa Lyrics in Hindi ) गहरा महत्व रखता है। यह पवित्र अभ्यास कई लाभ प्रदान करता है, जिससे यह भक्तों के बीच एक पूजनीय अनुष्ठान बन जाता है।

सबसे पहले, ऐसा माना जाता है कि चुनौतियों का सामना करते समय भगवान गणेश की मदद मांगी जाती है। दूसरे, सुखदायक छंद अपनी ध्वनि से शांत और सकारात्मक वातावरण बनाते हैं। अंत में, यह आत्म-प्रतिबिंब के लिए एक उपकरण है, जो आपको अपने जीवन में शांति और स्पष्टता खोजने में मदद करता है।

इसके अलावा, गणेश चालीसा के बोल ( Ganesh Chalisa Lyrics in Hindi ) आत्म-चिंतन और आत्मनिरीक्षण के लिए एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में कार्य करते हैं। जब कोई व्यक्ति प्रत्येक श्लोक के पीछे के गहन अर्थों पर ध्यान करता है, तो यह आंतरिक शांति और स्पष्टता की भावना को बढ़ावा देता है, जिससे व्यक्ति शांत और केंद्रित दिमाग के साथ जीवन की जटिलताओं से निपटने में सक्षम होता है।

Ganesh Chalisa Lyrics in Hindi with Meaning

॥ दोहा ॥

जय गणपति सदगुण सदन,
कविवर बदन कृपाल ।

विघ्न हरण मंगल करण,
जय जय गिरिजालाल ॥

॥ चौपाई ॥

जय जय जय गणपति गणराजू। मंगल भरण करण शुभहु काजू॥

अर्थ: जय हो, जय हो, जय हो, गणों के राजा श्री गणपति! वह शुभता प्रदान करता है और सभी कार्य पूर्ण करता है।

जै गजबदन सदन सुखदाता। विश्व विनायका बुद्धि विधाता॥

अर्थ: हाथी के मुख वाले, शाश्वत सुखदाता, सर्वव्यापी विनायक और बुद्धि के प्रदाता की जय हो।

वक्र तुण्ड शुची शुण्ड सुहावना। तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावना॥

अर्थ: घुमावदार सूंड वाला, शुद्ध और सुखदायक, माथे पर तीन रेखाएं, प्यार से मन में समाया हुआ।

राजत मणि मुक्तन उर माला। स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला॥

अर्थ: गले में मोतियों की माला से सुशोभित, स्वर्ण मुकुट पहने हुए, बड़ी-बड़ी आँखों वाली।

पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं। मोदक भोग सुगन्धित फूलं॥

अर्थ: पुस्तक, कुल्हाड़ी और त्रिशूल धारण करना, प्रसाद के रूप में मोदक, सुगंधित फूलों का भोग लगाना।

सुन्दर पीताम्बर तन साजित। चरण पादुका मुनि मन राजित॥

अर्थ: सुंदर पीले वस्त्र पहने हुए, उनके दिव्य चरणों की शोभा बढ़ाने वाले पादुकाएं पहने हुए, ऋषि-मुनियों द्वारा पूजनीय।

धनि शिव सुवन षडानन भ्राता। गौरी लालन विश्व-विख्याता॥

अर्थ: भगवान गणेश, भगवान शिव के पुत्र और गौरी के प्रिय, छह मुख वाले प्रसिद्ध।

रिद्धि-सिद्धि तव चंवर सुधारे। मुषक वाहन सोहत द्वारे॥

अर्थ: धन और सफलता प्रदान करना, चौरी धारण करना, चूहे की सवारी करना, दरवाजे की शोभा बढ़ाना।

कहौ जन्म शुभ कथा तुम्हारी। अति शुची पावन मंगलकारी॥

अर्थ: मैं आपकी अत्यंत पवित्र, पवित्र और वरदानों से भरी हुई मंगलमय कथा सुनाता हूं।

एक समय गिरिराज कुमारी। पुत्र हेतु तप कीन्हा भारी॥

अर्थ: एक बार, पर्वतों के राजा, पार्वती के पुत्र, ने पुत्र की प्राप्ति के लिए घोर तपस्या की।

भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा। तब पहुंच्यो तुम धरी द्विज रूपा॥

अर्थ: जब भव्य यज्ञ पूर्ण और गौरवशाली हो गया, तब आप एक ब्राह्मण का रूप धारण करके प्रकट हुए।

अतिथि जानी के गौरी सुखारी। बहुविधि सेवा करी तुम्हारी॥

अर्थ: देवी गौरी ने आपको सम्मानित अतिथि मानकर अनेक प्रकार से आपकी सेवा की।

अति प्रसन्न हवै तुम वर दीन्हा। मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा॥

अर्थ: प्रसन्न होकर, आपने उसे वरदान दिया, उसे एक बुद्धिमान पुत्र का आशीर्वाद दिया।

मिलहि पुत्र तुहि, बुद्धि विशाला। बिना गर्भ धारण यहि काला॥

अर्थ: हे गणेश, आप वह पुत्र बने, जिसका जन्म बिना गर्भ के हुआ, एक चमत्कारी घटना।

गणनायक गुण ज्ञान निधाना। पूजित प्रथम रूप भगवाना॥

अर्थ: गणपति, सभी गुणों और बुद्धि के भगवान, प्रथम पूज्य देवता और दिव्यता के अवतार।

अस कही अन्तर्धान रूप हवै। पालना पर बालक स्वरूप हवै॥

अर्थ: कहा जाता है कि आप विभिन्न गुप्त रूप धारण करके एक बच्चे की तरह पालन-पोषण और रक्षा करते हैं।

बनि शिशु रुदन जबहिं तुम ठाना। लखि मुख सुख नहिं गौरी समाना॥

अर्थ: जब आपने चंद्रमा को देखने की ठानी तो आपने हाथी का मुख धारण कर लिया।

सकल मगन, सुखमंगल गावहिं। नाभ ते सुरन, सुमन वर्षावहिं॥

अर्थ: सभी लोग आनन्दित हुए और मंगल गीत गाए, देवताओं ने स्वर्ग से दिव्य पुष्पों की वर्षा की।

शम्भु, उमा, बहुदान लुटावहिं। सुर मुनिजन, सुत देखन आवहिं॥

अर्थ: भगवान शिव, पार्वती और कई देवता आपके पुत्र के जन्म को देखने के लिए पहुंचे।

लखि अति आनन्द मंगल साजा। देखन भी आये शनि राजा॥

भावार्थ: हर्षोल्लास से भरे उस भव्य उत्सव को देखकर राजा शनिदेव भी साक्षी बनने आए।

निज अवगुण गुणि शनि मन माहीं। बालक, देखन चाहत नाहीं॥

अर्थ: शनि ने तुम्हारे निष्कलंक आचरण को देखा, लेकिन हे बालक, वह तुम्हें देखना नहीं चाहते थे।

गिरिजा कछु मन भेद बढायो। उत्सव मोर, न शनि तुही भायो॥

अर्थ: क्रोधित होकर उसने तुम पर दृष्टि डाली, परन्तु तुमने सिर ऊँचा रखा।

कहना लगे शनि, मन सकुचाई। का करिहौं, शिशु मोहि दिखाई॥

अर्थ: शनि की तीव्र दृष्टि देखकर धरती माता भय से कांप उठी।

नाचीकर उमा उर भयऊ। शनि सों बालक देखन कहयऊ॥

अर्थ: हिमालय पर्वत पर एक तीव्र पुकार गूंज उठी, आप पर शनि की अशुभ दृष्टि का कोई प्रभाव नहीं पड़ा।

पदतहिं शनि दृग कोण प्रकाशा। बालक सिर उड़ि गयो अकाशा॥

अर्थ: भगवान शिव गरुड़ पर सवार होकर घटनास्थल पर पहुंचे और अपने दिव्य चक्र से शनि का सिर काट दिया।

गिरिजा गिरी विकल हवै धरणी। सो दुःख दशा गयो नहीं वरणी॥

अर्थ: अपने पुत्र की दुर्दशा देखकर पार्वती व्याकुल हो गईं, पृथ्वी स्वयं उस कष्ट को सहन नहीं कर सकी।

हाहाकार मच्यौ कैलाशा। शनि कीन्हों लखि सुत को नाशा॥

अर्थ: जब शनि ने अपने पुत्र का विनाश देखा तो पूरे कैलाश में वेदना की चीख गूंज उठी।

तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधायो । काटी चक्र सो गज सिर लाये ॥

अर्थ: भगवान विष्णु तुरंत गरुड़ पर चढ़ गए और अपने घूमते चक्र से हाथी का सिर काट दिया।

बालक के धड़ ऊपर धारयो। प्राण मन्त्र पढ़ि शंकर डारयो॥

अर्थ: आप, बच्चे, को शिव के घुटने पर बिठाया गया, मंत्रों का जाप किया गया, शिव ने आपको आशीर्वाद दिया।

नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे। प्रथम पूज्य बुद्धि निधि, वर दीन्हे॥

अर्थ: आपका नाम गणेश हो गया, और शिव ने घोषणा की, आपकी पूजा सभी देवताओं में सबसे पहले की जाएगी।

बुद्धि परीक्षा जब शिव कीन्हा। पृथ्वी कर प्रदक्षिणा लीन्हा॥

अर्थ: जब आप हठपूर्वक दरवाजे पर खड़े थे, तो किसी को भी अंदर आने की हिम्मत नहीं हुई, यहां तक कि देवी गौरी की भी नहीं।

चले षडानन, भरमि भुलाई। रचे बैठ तुम बुद्धि उपाई॥

अर्थ: तब देवताओं ने हर्षपूर्वक आपकी स्तुति की, आकाश से पुष्पों की वर्षा होने लगी।

चरण मातु-पितु के धर लीन्हें। तिनके सात प्रदक्षिणा कीन्हें॥

अर्थ: आपने माता-पिता के चरण छूकर उनकी सात बार परिक्रमा की।

धनि गणेश कही शिव हिये हरषे। नभ ते सुरन सुमन बहु बरसे॥

अर्थ: भगवान शिव का हृदय प्रसन्नता से प्रसन्न हो गया, जैसे आकाश से दिव्य पुष्पों की वर्षा होने लगी।

तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई। शेष सहसमुख सके न गाई॥

अर्थ: जैसे-जैसे आपने शनिदेव को आशीर्वाद दिया, आपकी महिमा बढ़ती गई, यहाँ तक कि वह भी आपकी महिमा का वर्णन नहीं कर सके।

मैं मतिहीन मलीन दुखारी। करहूं कौन विधि विनय तुम्हारी॥

अर्थ: मैं बुद्धिहीन, अशुद्ध और दुःख से भरा हुआ हूं, मैं आपको कैसे अपनी भक्ति अर्पित कर सकता हूं?

भजत रामसुन्दर प्रभुदासा। जग प्रयाग, ककरा, दुर्वासा॥

अर्थ: प्रभु, दीनों पर दया करो, प्रभु दास दूसरों के साथ-साथ आपकी भी स्तुति करते हैं।

अब प्रभु दया दीना पर कीजै। अपनी शक्ति भक्ति कुछ दीजै॥

अर्थ: अब, हे भगवान, असहायों पर अपनी दया बरसाओ, हमें अपनी शक्ति और भक्ति में से कुछ प्रदान करो।

॥ दोहा ॥

श्री गणेश यह चालीसा,
पाठ करै कर ध्यान ।

नित नव मंगल गृह बसै,
लहे जगत सन्मान ॥

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गणेश चालीसा लिरिक्स हिंदी में | Ganesh Chalisa Lyrics in Hindi 

Ganesh Chalisa Lyrics in Hindi 

The Significance of Ganesh Chalisa in Hindi PDF

हिंदी में गणेश चालीसा ( Ganesh Chalisa in Hindi ) हिंदू आध्यात्मिकता के क्षेत्र में गहरा महत्व रखती है। संत तुलसीदास द्वारा रचित यह पवित्र भजन, भगवान गणेश के प्रति गहरी भक्ति को दर्शाता है और परमात्मा से जुड़ने के लिए एक शक्तिशाली माध्यम के रूप में कार्य करता है।

जब भक्त हिंदी में गणेश चालीसा ( Ganesh Chalisa in Hindi ) का पाठ करते हैं, तो वे बाधाओं को दूर करने वाले भगवान गणेश का आशीर्वाद मांगते हैं। चुनौतियों और अनिश्चितताओं के समय में यह एक आध्यात्मिक प्रकाशस्तंभ है, जो मार्गदर्शन और आशा की भावना प्रदान करता है।

हिंदी में गणेश चालीसा ( Ganesh Chalisa in Hindi ) के मधुर छंद शांति और आध्यात्मिक अनुनाद का माहौल बनाते हैं। लयबद्ध जप सकारात्मक कंपन उत्पन्न करता है, आसपास के वातावरण को शुद्ध करता है और उनमें शांति का संचार करता है।

अपने बाहरी अनुष्ठानों से परे, हिंदी में गणेश चालीसा ( Ganesh Chalisa in Hindi ) आंतरिक चिंतन की सुविधा भी देती है। प्रत्येक श्लोक गहरे अर्थ रखता है, आत्म-चिंतन को प्रोत्साहित करता है और आंतरिक शांति को बढ़ावा देता है। यह आध्यात्मिक ज्ञान के मार्ग पर एक मार्गदर्शक प्रकाश के रूप में कार्य करता है।

Conclusion 

अंत में, संत तुलसीदास द्वारा लिखित हिंदी में गणेश चालीसा ( Ganesh Chalisa in Hindi ), भक्ति और विश्वास का एक कालातीत प्रमाण है। इस पवित्र भजन का जाप न केवल हमें परमात्मा से जोड़ता है बल्कि हमारी आध्यात्मिक यात्रा को भी समृद्ध करता है, जिससे हमें बाधाओं को दूर करने और आंतरिक शांति पाने में मदद मिलती है। यह भक्ति की स्थायी शक्ति और भगवान गणेश के शाश्वत आशीर्वाद के प्रमाण के रूप में खड़ा है।

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